गर्भवती हथिनी को धोखे से बम भरा अननास खिला कर मार डाला , नदी में खड़े-खड़े हो गई मौत

बम भरा अननास खिला कर गर्भवती  हथीन को मार डाला 

ये घटना केरला में हुई जो दिल दहला देने वाली हे  जहाँ एक गर्भवती  हथीन को भोजन के रूप में बम खिला दिया 
हुआ यु था की भोजन की तलाश में हथीन  जंगल से गांव की औरआ गई 
आस पास गांव में घूम रहे 
कुछ लोगो ने उसे बम भरा अननास दिया जो खाते  समय उसके मुँह में फट गया उसका मुँह पूरी तरह जख्मी हो गया मगर उस बेजुबान जानवर ने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया वो गांव में भटकती रही किसी नई मदद तक नही की न किसी नई वनविभाग को कॉल किया इतने लोगो में क्या कोई इंसान नहीं था।
या  यु कहा जाये इंसानियत खतम हो गई हे. 
ये हथीन गर्भवती थी अपने दर्द के कारण कुछ खा नहीं पा रही थी नदी में अपना मुँह डुबोये खड़ी रही शायद उसे दर्द से आराम मिल रहा होगा मानो  जैसे वो सोच रही हो कि उसे अपनी चिंता नहीं, पेट में पल रहे उस बच्चे की चिंता है जो कुछ महीनों बाद बाहर आता
मई 27, 2020 की इस घटना में मादा हाथी की वेल्लीयर नदी में खड़े-खड़े मृत्यु हो गई

उसे क्या पता था जिसे वो अपना भोजन समझ रही थी उस विश निकला उसने उसे खाया तो अपने और अपने बच्चे की शेहद के लिए पर इंसान के छलावे ने उसे अपना शिकार बना लिया।
हम आज घर में अपने परिवार  घर में बंद हे तब भी परेशान हे बाहर जाना चाहते हे जरा उस बेजुबान तोते के बारे में सोचो जैसी आपने ताउम्र के लिए पिंजरे में कैद कर दिया हे क्या तुम्हे जरा भी अहसास हे तुम कितना बड़ा जुर्म कर रही हो उन पंछियो पर 
जरा सोच कर देखो अगर तुम्हे एक कमरे में पूरी सुख सुविधा के साथ अकेला बंद कर दिया जाये तो क्या आप रह पाओगे हमारे धर्मो में जीव मात्र पर जुल्म करना पाप समझते हे बेशक आप पढ़े लिखे हे समझदार हे पूरी बातो को नहीं मानते लेकिन इतना बस समझो किसी को कैद नहीं कीजिए 

किसी कवी ने कहा हे 

हम पंछी उनमुक्त गगन के पिंजर बंद न गा पाएंगे 
कनक तीलियों से टकरा कर पुलकित पंख टूट जायेंगे
हमे बेहता जल पिने वाले मर जायेंगे भूखे प्यासे 
कई भली हे कटुक नुबोरी कनक कटोरी के मेदा से 


उस बेचारी ने किसी का क्या बिगाड़ा था जो इतना जुल्म हुआ उससे ये जिसने किया हे उसको जरा इतना सोचना था की अगर गलती से हो गया तो वनविभाग को खबर कर दे उसकी जान बचाई जा सकती थी शायद वो किस पीड़ा में किस सोच में नकली थी जंगल से गांव की और क्या से क्या हो गया। 
क्या उस पुरे गांव में कोई इंसान नहीं था जिसने उस पर दया तक नहीं आई शायद आज वो जिन्दा होती अगर किसी इंसान की इंसानियत उसको काम आ जाती पर किसी हवान की हैवानियत की शिकार होकर उसे ये दुनिया छोड़ कर जाना पड़ा 

तू भूल कैसे गया के चलता फिरता हैवान हु में 
तूने कैसे सोचा में तुझे खाना दूंगा 
 जिवमात्र में एक अकेला बेईमान हु में 
तूने कैसे भरोसा किया मुझपर 
हमेशा से ही चालक हु में 
शायद तू जानता नहीं था तेरे मरे शरीर को तक बेच खाऊ में इतना ज्यादा 
बेशर्म बेहया पत्थरदिल   इंसान हु में

वेटरनरी डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने अपने करियर में 250 हाथियों का पोस्टमॉर्टम किया है लेकिन पहली बार ऐसा हुआ जब उन्हें इतनी पीड़ा हुई। उन्होंने बताया कि वो हथिनी के अजन्मे बच्चे को, भ्रूण को हाथों में लेकर देख सकते थे। पहले किसी को भी पता नहीं था कि वो गर्भवती है, ये पोस्टमॉर्टम के समय ही पता चला।

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